किसी सामान के फैक्ट्री में बनने से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचने तक करीब 30-35 फीसदी टैक्स की मार पड़ती है। केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी, कस्टम, सर्विस टैक्स जैसे इनडायरेक्ट टैक्स लगाती है जबकि राज्य सरकार वैट, मनोरंजन कर और लॉटरी व गेंबलिंग पर टैक्स वसूलती हैं। स्थानीय निकाय और नगर निगम भी एंट्री टैक्स, चुंगी कर और तहबाजारी के जरिए राजस्व जुटाते हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रेट से लगने वाले इन अप्रत्यक्ष करों का बोझ आखिर में उपभोक्ताओं के ऊपर तो पड़ता ही है, कारोबार में भी कई तरह की अड़चने आती हैं। नई कर प्रणाली लागू होने के बाद इनमें अधिकांश टैक्स जीएसटी के दायरे में आ जाएंगे, जो पूरे देश में एकसमान दर से लागू होंगे। इससे न केवल टैक्स चोरी रोकने में मदद मिलेगी बल्कि आम आदमी की जेब को भी बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही इससे कारोबार करना भी आसान होगा।
अटल सरकार के समय से चल रहा था विचार
देश भर में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की एकसमान प्रणाली लागू करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय से विचार-विमर्श चला आ रहा है। यूपीए सरकार ने भी जीएसटी लागू करने की तमाम कोशिशें की लेकिन राज्यों के साथ इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद एक बार फिर जीएसटी पर हलचल शुरू हुई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया है। इससे अप्रैल, 2016 से जीएसटी लागू होने की उम्मीद बढ़ गई है।
बिजनेस को फायदा: पूरा देश एक कॉमन नेशनल मार्केट
अलग-अलग राज्यों में टैक्स की अलग-अलग दरों के बजाय जीएसटी लागू होने से पूरा देश एक कॉमन नेशनल मार्केट बन जाएगा। फिलहाल किसी वस्तु पर 30-35 फीसदी टैक्स लगता है जो जीएसटी लागू होने के बाद घटकर 20-25 फीसदी रह जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई है कि जीएसटी लागू होने से कई चीजें सस्ती हो जाएंगी, साथ ही राज्यों के बीच कारोबार करने में काफी आसानी होगी।
पूरे देश में कॉमन टैक्स सिस्टम होने से करदाताओं खासकर छोटे कारोबारियों के लिए रिटर्न भरना, टैक्स जमा करना और रिफंड लेना काफी आसान हो जाएगा। कई अलग-अलग विभागों में टैक्स जमा कराने का झंझट खत्म होने से देश में निवेश को आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी।
कंज्यूमर को फायदा: बंद होगी मल्टीपल टैक्स वसूली
टैक्स की भरमार से छुटकारा मिलने से कंज्यूमर को भी फायदा होगा। कई राज्यों में वाहनों पर टैक्स की दरें कम होने से कंज्यूमर उन राज्यों से वाहन खरीदने की कोशिश करते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद इस तरह के झंझट खत्म हो जाएंगे और टैक्स की चोरी रोकने में मदद मिलेगी। टैक्स वसूली तर्कसंगत होने से कई वस्तुएं के दाम कम हो सकते हैं।
सरकार और इकनॉमी को फायदा:
पूरे देश में इनडायरेक्ट टैक्स की नई व्यवस्था लागू होने के बाद टैक्स चोरी पर शिकंजा कसना आसान हो जाएगा। देश भर में टैक्स की एकसमान दरें होंगे, जिससे टैक्स अदा करने में आसानी होगी। जानकारों का मानना है कि जीएसटी लागू होने के बाद देश में जीडीपी की ग्रोथ 2 फीसदी तक बढ़ सकती है। इसलिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे देश की आजादी के बाद सबसे बड़ा टैक्स सुधार करार दिया है। नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइन इकनॉमिक रिसर्च का अनुमान है कि जीएसटी लागू होने से देश की जीडीपी 0.9 से 1.7 फीसदी बढ़ जाएगी
वैट से एक कदम आगे
जीएसटी भी एक किस्म का वैल्यू ऐडेड टैक्स है। इस प्रणाली में भी किसी वस्तु में होने वाले वैल्यू एडिशन पर ही टैक्स वसूला जाता है और एक बार से ज्यादा बार हुई टैक्स वसूली को वापस लौटाने का प्रावधान होता है। इससे किसी वस्तु के निर्माता, विक्रेता और कंज्यूमर पर निर्धारित सीमा से ज्यादा टैक्स का बोझ नहीं पड़ता। इसी खूबी को ध्यान में रखते हुए राज्यों में कई तरह के बिक्री कर के स्थान पर वर्ष 2005 में वैट लागू किया गया था। लेकिन वैट का दायरा सिर्फ राज्यों और वस्तुओं तक सीमित है। केंद्र व स्थानीय निकाय की ओर से लगने वाले टैक्स इसमें शामिल नहीं हैं, इसलिए वस्तु एवं सेवाओं के लिए एक देशव्यापी प्रणाली विकसित करने की जरूरत महसूस हुई।
राज्य ने क्यों किया विरोध
राज्यों की कमाई का बड़ा हिस्सा पेट्रोलियम और अल्कोहल उत्पादों पर लगने वाले टैक्स से आता है। जीएसटी आने के बाद किसी भी वस्तु पर टैक्स लगाने का राज्यों के अधिकार में कमी आएगी। वैट, मनोरंजन कर, जुए व लाटरी पर टैक्स, चुंगी आदि जीएसटी में शामिल हो जाएंगे। इनसे होने वाली कमाई पर राज्य अपना अधिकार आसानी से छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इसलिए पिछले दस साल से जीएसटी पर सहमति नहीं बन पाई है। अब केंद्र सरकार ने राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई और अल्कोहल, तंबाकू को जीएसटी से बाहर रखने का भरोसा दिया है। पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी की दरें अभी तय नहीं हैं, इन बारे में केंद्र और राज्य सरकार मिलकर फैसला करेंगे। इसके अलावा राज्यों को दो साल तक एक फीसदी अतिरिक्त जीएसटी लगाने की छूट भी दी जा रही है।
दुनिया के 140 देशों में पहले ही लागू जीएसटी
एकसमान कर प्रणाली के फायदे का समझते हुए कनाडा, चीनी, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, जापान, नार्वे जैसे दुनिया के 140 देश पहले ही जीएसटी लागू कर चुके हैं। यूरोपीय संघ के देशों ने भी सिंगल रेट वाले वैट सिस्टम को अपनाया है। जिन देशों में जीएसटी लागू हुआ है, उनका अनुभव है कि इससे न सिर्फ टैक्स संग्रह बढ़ता है बल्कि कर चोरी और काले धन पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलती है।
केंद्र व राज्य का बराबर हिस्सा
किसी वस्तु पर पूरे देश में एकसमान रेट से जीएसटी वसूला जाएगा। इसमें केंद्र व राज्य की बराबर की हिस्सेदारी होगी। मिसाल के तौर पर, अगर किसी वस्तु पर 20 फीसदी जीएसटी रेट हैं तो इसका 10 फीसदी केंद्र के हिस्से में आएगा और बाकी 10 राज्य वसूल करेगा।
Source : http://money.bhaskar.com/
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